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"कहिये तो कुछ कि काट लें दो दिन खुशी से हम / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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− | हर शख्श आइना है हमारे | + | हर शख्श आइना है हमारे ख़याल का |
मिलते गले-गले हैं हरेक आदमी से हम | मिलते गले-गले हैं हरेक आदमी से हम | ||
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आये भी लोग आपसे मिलकर चले गये | आये भी लोग आपसे मिलकर चले गये | ||
− | + | देखा किये हैं दूर खड़े अजनबी-से हम | |
− | रंगत | + | रंगत किसीकी शोख़ निगाहों की है गुलाब |
कह तो रहे है बात बड़ी सादगी से हम | कह तो रहे है बात बड़ी सादगी से हम | ||
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00:38, 1 जुलाई 2011 का अवतरण
कहिये तो कुछ कि काट लें दो दिन ख़ुशी से हम
घबरा गये हैं आपकी इस बेरुख़ी से हम
हर शख्श आइना है हमारे ख़याल का
मिलते गले-गले हैं हरेक आदमी से हम
आयेगा कुछ नज़र तो कहेंगे पुकार कर
आँखें मिला रहे हैं अभी ज़िन्दगी से हम
आये भी लोग आपसे मिलकर चले गये
देखा किये हैं दूर खड़े अजनबी-से हम
रंगत किसीकी शोख़ निगाहों की है गुलाब
कह तो रहे है बात बड़ी सादगी से हम