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"बुरा कहें तो बुरे हैं, भला कहें तो भले / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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ये बेसुधी ही भली है कि हैं गले-से-गले
 
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भले ही कोई निगाहें चुरा रहा है गुलाब!
 
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01:49, 1 जुलाई 2011 का अवतरण


बुरा कहें तो बुरे हैं, भला कहें तो भले
हम अक्स आपके दिल के ही आईने में ढले

हम ऐसे होश से बाज़ आये, दूर-दूर हों आप
ये बेसुधी ही भली है कि हैं गले-से-गले

पहुँचते लोग हैं सोये-ही-सोये मंज़िल तक
जगे हुए भी मगर हम तो दो क़दम न चले

छिपा के रखलो कोई प्यार की किरन इसकी
पता नहीं कि दिया फिर कभी जले न जले

भले ही कोई निगाहें चुरा रहा है गुलाब!
छिपा है प्यार भी पलकों की बेरुख़ी के तले