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"यों तो उन नज़रों में है जो अनकहा, समझे हैं हम / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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सैंकडों कोसों का जिसको फासला समझे हैं हम | सैंकडों कोसों का जिसको फासला समझे हैं हम | ||
− | आँखों-आँखों में इशारा कर के | + | आँखों-आँखों में इशारा कर के आँखें मूँद लीं |
रुक के दम भर पूछ तो लेते कि क्या समझे हैं हम! | रुक के दम भर पूछ तो लेते कि क्या समझे हैं हम! | ||
02:02, 1 जुलाई 2011 का अवतरण
यों तो उन नज़रों में है जो अनकहा, समझे हैं हम
फिर भी कुछ है इस समझने के सिवा, समझे हैं हम
छोड़ दी सादी जगह ख़त में हमारे नाम पर
बेलिखे ही उसने जो कुछ लिख दिया, समझे हैं हम
प्यार की मंज़िल तो है इस बेख़ुदी से दो क़दम
सैंकडों कोसों का जिसको फासला समझे हैं हम
आँखों-आँखों में इशारा कर के आँखें मूँद लीं
रुक के दम भर पूछ तो लेते कि क्या समझे हैं हम!
देखकर तुझको झुका ली है नज़र उसने, गुलाब!
हो चुका है ख़त्म पहला सिलसिला, समझे हैं हम!