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"यों तो रंगों की वो दुनिया ही छोड़ ही हमने / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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यों तो रंगों की वो दुनिया ही छोड़ ही हमने  
 
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चोट एक प्यार की ताजा ही छोड़ ही हमने
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चोट एक प्यार की ताज़ा ही छोड़ ही हमने
  
 
सिर्फ आँचल के पकड़ लेने से नाराज़ थे आप!
 
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अब तो खुश हैं कि ये दुनिया ही छोड़ ही हमने
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आप क्यों देखके आईना मुँह फिरा बैठे!
 
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क्या हुआ फूल जो होठों से चुन लिए दो-चार  
 
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और खुशबू तेरी ताज़ा ही छोड़ दी हमने  
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पूछा उनसे जो किसीने कभी, 'कैसे हैं गुलाब?'
 
पूछा उनसे जो किसीने कभी, 'कैसे हैं गुलाब?'

02:03, 1 जुलाई 2011 का अवतरण


यों तो रंगों की वो दुनिया ही छोड़ ही हमने
चोट एक प्यार की ताज़ा ही छोड़ ही हमने

सिर्फ आँचल के पकड़ लेने से नाराज़ थे आप!
अब तो ख़ुश हैं कि ये दुनिया ही छोड़ ही हमने

आप क्यों देखके आईना मुँह फिरा बैठे!
लीजिये, आपकी चरचा ही छोड़ ही हमने

क्या हुआ फूल जो होठों से चुन लिए दो-चार
और ख़ुशबू तेरी ताज़ा ही छोड़ दी हमने

पूछा उनसे जो किसीने कभी, 'कैसे हैं गुलाब?'
हँसके बोले कि वो बगिया ही छोड़ ही हमने