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"यों न मिलने में शरमाइये / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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यों न मिलने में शरमाइये  
 
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प्यार मुँह से न कहते बने
 
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खुद तड़पिये तो तड़पाइए
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कुछ भी कहिये तो शरमाइये   
 
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02:11, 1 जुलाई 2011 का अवतरण


यों न मिलने में शरमाइये
दो घड़ी रुक भी तो जाइये

प्यार मुँह से न कहते बने
प्यार आँखों से जतालाइये

जान हाज़िर है लेकिन, हुज़ूर!
अपनी सूरत तो दिखलाइये

शर्त है प्यार की एक ही
ख़ुद तड़पिये तो तड़पाइये

सामने उनके चुप हैं गुलाब
कुछ भी कहिये तो शरमाइये