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"तेरा दर छोड़ के जाने का कभी नाम न लूँ / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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तेरा दर छोड़ के जाने का कभी नाम न लूँ
 
यों पिला दे कि कहीं और सुबह-शाम न लूँ
 
 
मुझको नस-नस के चटकने का हो रहा है गुमान
 
हुक्म तेरा है कि दम भर कहीं आराम न लूँ
 
 
यों न लहरा मेरी आँखों में सुनहला आँचल
 
मैं हूँ मदहोश, कहीं बढ़के इसे थाम न लूँ!
 
 
तू मेरे प्यार की धड़कन तो समझता है ज़रूर
 
मैं भले ही कभी होठों से तेरा नाम न लूँ
 
 
यह तो बतला कि खिलाये हैं भला क्यों ये गुलाब
 
है अगर जिद ये तेरी, इनसे कोई काम न लूँ !
 
<poem>
 

02:42, 1 जुलाई 2011 के समय का अवतरण