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"खूब है प्यार का यह दस्तूर / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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और हों पीने को बेचैन | और हों पीने को बेचैन | ||
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उड़ने लगा है गुलाब का रंग | उड़ने लगा है गुलाब का रंग | ||
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00:36, 2 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
ख़ूब है प्यार का यह दस्तूर
पास भी हैं हम दूर ही दूर
परदा नहीं बेबात है यह
कोई तो है परदे में ज़रूर
आप लगा लें जो मुँह पे नक़ाब
क्या है भला दर्पन का क़सूर
और हों पीने को बेचैन
हम हैं नशे में प्यार के चूर
उड़ने लगा है गुलाब का रंग
एक निगाह तो कर लें, हुजूर!