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हम उनके प्यार को कितना सँभालकर लाये!
हरेक लहर में क़यामत का शोर उठाता उठता था
किसी तरह से ये किश्ती निकालकर लाये
फ़िज़ाँ बहार की तुझसे ही सज रही है गुलाब!
भले ही फूल कई मुँह को लाल कर लाये
 
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