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"यों तो बदली हुई राहों की भी मजबूरी थी / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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यों तो बदली हुई राहों की भी मजबूरी थी | यों तो बदली हुई राहों की भी मजबूरी थी | ||
− | कुछ मगर फूल सी | + | कुछ मगर फूल सी बाँहों की भी मजबूरी थी |
कुछ तो मजबूर किया उनकी अदाओं ने हमें | कुछ तो मजबूर किया उनकी अदाओं ने हमें | ||
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प्यार की दी है सज़ा हमको मगर यह तो बता, | प्यार की दी है सज़ा हमको मगर यह तो बता, | ||
− | क्या न इन | + | क्या न इन शोख़ गुनाहों की भी मजबूरी थी? |
यों तो इस बाग़ में हँसने केलिए आये गुलाब | यों तो इस बाग़ में हँसने केलिए आये गुलाब | ||
दिल से उठती हुई आहों की भी मजबूरी थी | दिल से उठती हुई आहों की भी मजबूरी थी | ||
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21:52, 2 जुलाई 2011 का अवतरण
यों तो बदली हुई राहों की भी मजबूरी थी
कुछ मगर फूल सी बाँहों की भी मजबूरी थी
कुछ तो मजबूर किया उनकी अदाओं ने हमें
और कुछ अपनी निगाहों की भी मजबूरी थी
यों तो दीवाना बताते हैं हमें लोग, मगर
कुछ तेरे प्यार की राहों की भी मजबूरी थी
प्यार की दी है सज़ा हमको मगर यह तो बता,
क्या न इन शोख़ गुनाहों की भी मजबूरी थी?
यों तो इस बाग़ में हँसने केलिए आये गुलाब
दिल से उठती हुई आहों की भी मजबूरी थी