भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हंगामा है क्यूँ बरपा / अकबर इलाहाबादी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) छो |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=अकबर इलाहाबादी | |रचनाकार=अकबर इलाहाबादी | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKPrasiddhRachna}} | ||
[[Category:ग़ज़ल]] | [[Category:ग़ज़ल]] | ||
<poem> | <poem> |
03:11, 4 जुलाई 2011 का अवतरण
हंगामा है क्यूँ बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है
ना-तजुर्बाकारी से, वाइज़<ref>धर्मोपदेशक</ref> की ये बातें हैं
इस रंग को क्या जाने, पूछो तो कभी पी है
उस मय से नहीं मतलब, दिल जिस से है बेगाना
मक़सूद<ref>मनोरथ</ref> है उस मय से, दिल ही में जो खिंचती है
वां<ref>वहाँ</ref> दिल में कि दो सदमे,यां<ref>यहाँ</ref> जी में कि सब सह लो
उन का भी अजब दिल है, मेरा भी अजब जी है
हर ज़र्रा चमकता है, अनवर-ए-इलाही<ref>दैवी प्रकाश</ref> से
हर साँस ये कहती है, कि हम हैं तो ख़ुदा भी है
सूरज में लगे धब्बा, फ़ितरत<ref>प्रकृति</ref> के करिश्मे हैं
बुत हम को कहें काफ़िर, अल्लाह की मर्ज़ी है
शब्दार्थ
<references/>