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"याद मरने पे ही किया तुमने / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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यह न सोचा, किसी पे क्या गुज़री | यह न सोचा, किसी पे क्या गुज़री | ||
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दो घड़ी और भी ठहर न सके | दो घड़ी और भी ठहर न सके | ||
जानेवाले! ये क्या किया तुमने | जानेवाले! ये क्या किया तुमने | ||
− | ज़िन्दगी की | + | ज़िन्दगी की किताब ख़त्म हुई |
मुड़ के देखा न हाशिया तुमने! | मुड़ के देखा न हाशिया तुमने! | ||
05:39, 4 जुलाई 2011 का अवतरण
याद मरने पे ही किया तुमने
हमको ऐसा भुला दिया तुमने!
मुँह पे मलकर अबीर होली में
हाथ हरदम को धो लिया तुमने
यह न सोचा, किसी पे क्या गुज़री
दिल लगाया शौक़िया तुमने
दो घड़ी और भी ठहर न सके
जानेवाले! ये क्या किया तुमने
ज़िन्दगी की किताब ख़त्म हुई
मुड़ के देखा न हाशिया तुमने!
हमने माना कि मिल न पाये गुलाब
दिल तो ख़ुशबू से भर दिया तुमने