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"मिलने की हर खुशी में बिछुड़ने का ग़म हुआ / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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− | |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
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− | |संग्रह= सौ गुलाब खिले / गुलाब खंडेलवाल
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− | [[Category:गज़ल]]
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− | मिलने की हर ख़ुशी में बिछुड़ने का ग़म हुआ
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− | एहसान उनका ख़ूब हुआ फिर भी कम हुआ
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− | कुछ तो नज़र का उनकी भी इसमें क़सूर था
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− | देखा जिसे भी प्यार का उसको वहम हुआ
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− | नज़रें मिलीं तो मिल के झुकीं, झुक के मुड़ गयीं
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− | यह बेबसी कि आँख का कोना न नम हुआ
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− | ज्यों ही लगी थी फैलाने घर में दिए की जोत
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− | त्योंही हवा का रुख़ भी बहुत बेरहम हुआ
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− | कुछ तो चढ़ा था पहले से हम पर नशा, मगर
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− | कुछ आपका भी सामने आना सितम हुआ
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− | आती नहीं है प्यार की ख़ुशबू कहीं से आज
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− | लगता है अब गुलाब का खिलना भी कम हुआ
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00:32, 5 जुलाई 2011 के समय का अवतरण