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"दिए तो है रौशनी नहीं है, खड़े हैं बुत ज़िन्दगी नहीं है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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− | |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
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− | |संग्रह=हर सुबह एक ताज़ा गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
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− | [[category: ग़ज़ल]]
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− | <poem>
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− | दिए तो हैं रौशनी नहीं है, खड़े हैं बुत ज़िन्दगी नहीं है
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− | ये कैसी मंज़िल पे आ गए हम, कि दोस्त हैं, दोस्ती नहीं है
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− | चमक रहे हैं हज़ारों तारे, भले ही हैं चाँद और सूरज
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− | तलाश है जिस किरन की हमको, बस एक समझो वही नहीं है
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− | बुझा-बुझा सर्द -सर्द-सा कुछ, है अब भी सीने में दर्द-सा कुछ
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− | पड़े हैं मुँह ढँक के हम भले ही, मगर तबीयत भरी नहीं है
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− | हम अक्स हैं तेरे आईने के, कभी तो बढ़कर गले लगा ले
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− | रहे हों ख़ामोश, प्यार की पर हमारे दिल में कमीं नहीं है
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− | गुलाब! जिसने भी हँसके देखा, उसीके तुम उम्र भर रहे हो
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− | जो सच कहें तो सभी हैं अपने, यहाँ कोई अज़नबी नहीं है
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03:09, 7 जुलाई 2011 के समय का अवतरण