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"पानी बरसेगा / कविता वाचक्नवी" के अवतरणों में अंतर

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मुरझाया पेड़ों का बाना।
 
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इतने दिन का नागा करती
 
इतने दिन का नागा करती
वर्षा की पायल अकुल हैं
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वर्षा की पायल की आहट
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सुनने  को पत्थर आकुल हैं
 
लोहा सारा गला हुआ है
 
लोहा सारा गला हुआ है
 
उसको पानी में ढलना है,
 
उसको पानी में ढलना है,
 
सलवट-सलवट कटा हुआ
 
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::::: पैरों के नीचे
 
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पृथ्वी का आँचल पुकारता
 
पृथ्वी का आँचल पुकारता
पानी-पानी-पानी-पानी।
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पानी....पानी....पानी....पानी....।
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बादल अपने नियत समय पर
 
बादल अपने नियत समय पर
इसको - उसको - सबको - उनको
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उसको
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उनको
 
पानी देंगे
 
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तब आएँगे।
 
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::::: अभी समय
 
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::::: नहीं आया है।
 
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सुनती हूँ -
 
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पानी बरसेगा।
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पानी बरसेगा.....।
 
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05:17, 7 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

पानी बरसेगा


सुनती हूँ - "पानी बरसेगा"
जंगल, नगर, ताल प्यासे हैं
मुरझाया पेड़ों का बाना।
इतने दिन का नागा करती
वर्षा की पायल की आहट
सुनने को पत्थर आकुल हैं
लोहा सारा गला हुआ है
उसको पानी में ढलना है,
सलवट-सलवट कटा हुआ
पैरों के नीचे
पृथ्वी का आँचल पुकारता
पानी....पानी....पानी....पानी....।

बादल अपने नियत समय पर
इसको
उसको
सबको
उनको
पानी देंगे
तब आएँगे।

अभी समय
नहीं आया है।

सुनती हूँ -
पानी बरसेगा.....।