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"राख / कविता वाचक्नवी" के अवतरणों में अंतर

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17:14, 7 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

राख


राख

काली है

जलावन से बची है

बुझ चुकी है,

किन्तु चिंगारी बचाकर

रख सकेगी

ढाँप ले तो ।