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"फिर उन्हीं आँखों की ख़ुशबू में नहाने के लिये / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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यह है जलने के लिये, वह है जलाने के लिये | यह है जलने के लिये, वह है जलाने के लिये | ||
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जिनको लाया था कभी तू उस अजाने के लिये | जिनको लाया था कभी तू उस अजाने के लिये | ||
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00:52, 9 जुलाई 2011 का अवतरण
फिर उन्हीं आँखों की ख़ुशबू में नहाने के लिये
आ गए हम दिल पे फिर एक चोट खाने के लिये
लो कसम, मुँह से अगर हमने लगाई हो शराब
यह बहाना था गले तुमको लगाने के लिये
यह तो अच्छा है कि बिस्तर लग गया है बाग़ में
हम कहाँ ये फूल पाते घर सजाने के लिये!
आग जो दिल में फतिंगे के, वही दीपक में है
यह है जलने के लिये, वह है जलाने के लिये
ज़िन्दगी की हाट में वे रंग बिकते हैं, गुलाब
जिनको लाया था कभी तू उस अजाने के लिये