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"याद मरने पे ही किया तुमने / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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दो घड़ी और भी ठहर न सके  
 
दो घड़ी और भी ठहर न सके  
जानेवाले! ये क्या किया तुमने
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जानेवाले! ये क्या किया तुमने!
  
 
ज़िन्दगी की किताब ख़त्म हुई
 
ज़िन्दगी की किताब ख़त्म हुई

01:07, 9 जुलाई 2011 का अवतरण


याद मरने पे ही किया तुमने
हमको ऐसा भुला दिया तुमने!

मुँह पे मलकर अबीर होली में
हाथ हरदम को धो लिया तुमने

यह न सोचा, किसी पे क्या गुज़री
दिल लगाया शौक़िया तुमने

दो घड़ी और भी ठहर न सके
जानेवाले! ये क्या किया तुमने!

ज़िन्दगी की किताब ख़त्म हुई
मुड़ के देखा न हाशिया तुमने!

हमने माना कि मिल न पाये गुलाब
दिल तो ख़ुशबू से भर दिया तुमने