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"यों तो होठों से कुछ न कहता है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
 
|संग्रह=कुछ और गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
 
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यों तो होठों से कुछ न कहता है
 
प्यार नज़रों में उसकी रहता है
 
 
उसके वादे का एतबार किया
 
यह समझकर कि झूठ कहता है
 
 
कौन समझेगा दिल की बेताबी
 
ख़ून आँखों से जब न बहता है!
 
 
प्यार की हर सज़ा कबूल हमें
 
दिल तेरे बेरुख़ी न सहता है
 
 
कोई मिलता नहीं हो तुझसे, गुलाब!
 
फिर भी अनजान नहीं रहता है
 
<poem>
 

01:15, 9 जुलाई 2011 के समय का अवतरण