भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आज हो चाहे दूर भी जाना, मेरे साथी मेरे मीत!/ गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
प्यार तो था बस एक बहाना, मेरे साथी, मेरे मीत! | प्यार तो था बस एक बहाना, मेरे साथी, मेरे मीत! | ||
− | झाँझर नैया, | + | झाँझर नैया, डाँड़ें टूटीं, नागिन लहरें, तेज हवा |
टिक न सकेगा पाल पुराना, मेरे साथी, मेरे मीत! | टिक न सकेगा पाल पुराना, मेरे साथी, मेरे मीत! | ||
01:36, 9 जुलाई 2011 का अवतरण
आज हो चाहे दूर भी जाना, मेरे साथी, मेरे मीत!
लौटके फिर इस राह से आना, मेरे साथी, मेरे मीत!
कठपुतली का खेल दिखाने कोई हमें लाया था यहाँ
प्यार तो था बस एक बहाना, मेरे साथी, मेरे मीत!
झाँझर नैया, डाँड़ें टूटीं, नागिन लहरें, तेज हवा
टिक न सकेगा पाल पुराना, मेरे साथी, मेरे मीत!
यों तो हरेक झोंके से हवा के, प्यार की ख़ुशबू आती थी
दिल ने तुम्ही को एक था माना, मेरे साथी, मेरे मीत!
मिल भी गए फिर आते-जाते, मिलके निगाहें फेर भी लो
गंध गुलाब की भूल न जाना, मेरे साथी, मेरे मीत!