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"कभी प्यार से मुस्कुराओ तो क्या है! / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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वही लौ इधर भी, वही लौ उधर भी  
 
वही लौ इधर भी, वही लौ उधर भी  
दिए को दिए से जलाओ तो क्या है!
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दिये को दिये से जलाओ तो क्या है!
  
 
नज़र आइना, रूप भी आइना है
 
नज़र आइना, रूप भी आइना है

01:45, 9 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


कभी प्यार से मुस्कुराओ तो क्या है!
हमें भी जो अपना बनाओ तो क्या है!

वही लौ इधर भी, वही लौ उधर भी
दिये को दिये से जलाओ तो क्या है!

नज़र आइना, रूप भी आइना है
मगर बीच में यह बताओ तो क्या है!

हमारे-तुम्हारे सिवा कौन है अब!
ये परदा घड़ी भर हटाओ तो क्या है!

गुलाब एक दिन पास पहुँचेंगे ख़ुद ही
जो आओ तो क्या है, न आओ तो क्या है!