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02:09, 9 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
कहते रहे हैं दिल की कहानी सभीसे हम
दुख एक का सुनने से हुआ दूसरे का कम
यों तो था हमसे छूट गया कारवाँ का साथ
फिर भी चले ही आये हैं तुम तक क़दम-क़दम
तीमारदारियाँ तो बहुत कर रहे हैं दोस्त
जब जायेगी ये जान तभी जायेगा ये ग़म
चुप भी रहा जो कोई हमें देखकर तो क्या!
अच्छा है दिल के वास्ते कुछ तो रहा भरम
यों तो हरेक हवा तेरे तिरछे रही गुलाब
मिलती रही हैं फिर भी पुतलियाँ किसीकी नम