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"किसीका प्यार समझें, दिल्लगी समझें, अदा समझें / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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02:29, 9 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


किसीका प्यार समझें, दिल्लगी समझें, अदा समझें
बता दे तू ही अब, ऐ ज़िन्दगी! हम तुझको क्या समझें

नहीं हटता है पल भर लाज का परदा उन आँखों से
इशारों में ही दिल की बात हम कैसे भला समझें!

हम अपने को भी उनकी धड़कनों में देख लेते हैं
उन्हींके हम हैं, वे हमको भले ही दूसरा समझें

दिया जो आपने आकर कभी दिल में जलाया था
दिया वह आँधियों से लड़ते-लड़ते बुझ गया समझें

गुलाब ऐसे तो हर तितली से आँखें चार करते हैं
जो दिल की पंखड़ी छू ले उसीको दिलरुबा समझें