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22:43, 9 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
== अनुबन्ध
मालिक के साथ
गुलाम की तरह
आती है स्त्रिया
उस कार्यक्रम मे
जहा आये हो स्त्री के
कार्यालयीन साथी भी
ज्यादा बाते नही करती उन पुरुशो से
जिनके साथ आफ़िस मे
हसती बोलती रह्ती है
इस तरह अपने शन्कालु पति को
दिलाती है बिश्वास
मे पूरी तुम्हारी हू
प्रागेतहासिक सती स्त्रिओ जैसी
पति भी जब जाता है
पत्नी के साथ उस जगह
जहा उसकी परचित स्त्रियाँ हो
चोर नजरों से अनदेखा करता है उन्हें
पत्नी को दिलाता है बिश्वास
तेरे अलावा में किसी पर फिदा नहीं
जंजीरों से बंधे गुलाम
कहते जातें है
सात जनम यही जंजीरे चाहिए
लगता है प्रेम नहीं
कोई अनुबंध
निभाया जा रहा है