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"नज़र भले ही हमें देख के शरमा ही गयी / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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करें भी क्या जो ये तस्वीर दिल को भा ही गयी! | करें भी क्या जो ये तस्वीर दिल को भा ही गयी! | ||
01:37, 10 जुलाई 2011 का अवतरण
नज़र भले ही हमें देखके शरमा ही गयी
झलक तो प्यार की पलकों से छनके आ ही गयी
क़सूर कुछ तेरे हाथों का भी तो है, फ़नकार!
करें भी क्या जो ये तस्वीर दिल को भा ही गयी!
चले जो हम तो चली साथ-साथ किस्मत भी
हरेक मुकाम पे पहले ये बेवफ़ा ही गयी
सँभाली होश की पतवार बहुत हमने, मगर
पहुँच के नाव किनारे पे डगमगा ही गयी
गली में उनकी हज़ारों महक उठे हैं गुलाब
हमारे दिल की तबाही भी रंग ला ही गयी