भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"यों न मिलने में शरमाइये / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
प्यार आँखों से जतलाइये | प्यार आँखों से जतलाइये | ||
− | जान | + | जान हाजिर है लेकिन, हुजूर! |
अपनी सूरत तो दिखलाइये | अपनी सूरत तो दिखलाइये | ||
01:48, 10 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
यों न मिलने में शरमाइये
दो घड़ी रुक भी तो जाइये
प्यार मुँह से न कहते बने
प्यार आँखों से जतलाइये
जान हाजिर है लेकिन, हुजूर!
अपनी सूरत तो दिखलाइये
शर्त है प्यार की एक ही
ख़ुद तड़पिये तो तड़पाइये
सामने उनके चुप हैं गुलाब
कुछ भी कहिये तो शरमाइये