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"फिर इस दिल के मचलने की कहानी याद आती है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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तपिश सीने की बस आँखों में लानी याद आती है | तपिश सीने की बस आँखों में लानी याद आती है | ||
− | 'कहा क्या! कल | + | 'कहा क्या! कल कहूँगा क्या! न यह कहता तो क्या कहता!' |
यही सब सोचते रातें बितानी याद आती है | यही सब सोचते रातें बितानी याद आती है | ||
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लटें आवारा उस रुख़ से हटानी, याद आती है | लटें आवारा उस रुख़ से हटानी, याद आती है | ||
− | कभी गाने को कहते ही, | + | कभी गाने को कहते ही, लजाकर सर झुका लेना |
गुलाब! अब भी किसीकी आनाकानी याद आती है | गुलाब! अब भी किसीकी आनाकानी याद आती है | ||
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01:17, 14 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
फिर इस दिल के मचलने की कहानी याद आती है
मुझे फिर आज अपनी नौजवानी याद आती है
बहुत कुछ कहके भी उनसे न कह पाया था प्यार अपना
तपिश सीने की बस आँखों में लानी याद आती है
'कहा क्या! कल कहूँगा क्या! न यह कहता तो क्या कहता!'
यही सब सोचते रातें बितानी याद आती है
शरारत की हँसी आँखों में दाबे, नासमझ बनती
मेरी चुप्पी पे उनकी छेड़खानी याद आती है
भुला पाता नहीं मैं पोंछना काजल पलक पर से
लटें आवारा उस रुख़ से हटानी, याद आती है
कभी गाने को कहते ही, लजाकर सर झुका लेना
गुलाब! अब भी किसीकी आनाकानी याद आती है