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"'प्रभो! इस देश को सत्पथ दिखाओ / त्रयोदश सर्ग / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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'विषमता, फूट, अत्याचार, भागे | 'विषमता, फूट, अत्याचार, भागे |
02:31, 14 जुलाई 2011 का अवतरण
'प्रभो! इस देश को सत्पथ दिखाओ
लगी जो आग भारत में बुझाओ
मुझे दो शक्ति, इसको शांत कर दूँ
लपट में रोष की निज शीश धर दूँ
'जिसे मैंने हृदय-शोणित दिया है
जिसे तुमने हरा फिर-से किया है
रहे सुख-शान्ति का उसमें बसेरा
न कुम्हलाये, प्रभो! यह बाग़ मेरा
'विषमता, फूट, अत्याचार, भागे
सभी का हो उदय, नव ज्योति जागे
विजित हों प्यार से तक्षक विषैले
दयामय! विश्व में सद्भाव फैले'