भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"क्यों हँसि हेरि हियरा / घनानंद" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=घनानंद }} :::::'''सवैया'''<br><br> क्यों हँसि हेरि हियरा अरू क्यौं ...)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:00, 7 जुलाई 2007 के समय का अवतरण

सवैया

क्यों हँसि हेरि हियरा अरू क्यौं हित कै चित चाह बढ़ाई।
काहे कौं बालि सुधासने बैननि चैननि मैननि सैन चढ़ाई।
सौ सुधि मो हिय मैं घन-आनँद सालति क्यौं हूँ कढ़ै न कढ़ाई।
मीत सुजान अनीत की पाटी इते पै न जानियै कौनै पढ़ाई।। 11 ।।