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"आज कुसुम कुम्हलाये / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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+ | प्रिय! पतझर में भी मुस्काना | ||
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+ | सौरभ बन पथ में उड़ जाना, कोई जान न पाये | ||
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+ | पी चम्पक-कपोल-मधु जी भर | ||
+ | झूम अलक में, पलक चूमकर | ||
+ | बन जाना अधरों में मर्मर, जब प्रेयसी लजाये | ||
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+ | छू रज-कण प्रिय-पथ का प्यारा | ||
+ | चरणों का बन जाय सहारा | ||
+ | युग-युग तक संगीत तुम्हारा, मिलन रागिनी गाये | ||
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02:15, 17 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
आज कुसुम कुम्हलाये
कल ही तो मैंने इनसे थे अपने केश सजाये
मेरे फूल न तुम कुम्हलाना
प्रिय! पतझर में भी मुस्काना
खिलना, बस खिलते ही जाना, जग से आँख चुराये
देख न सके तुम्हें मधुबाला
पी न सको अधरों की हाला
सौरभ बन पथ में उड़ जाना, कोई जान न पाये
पी चम्पक-कपोल-मधु जी भर
झूम अलक में, पलक चूमकर
बन जाना अधरों में मर्मर, जब प्रेयसी लजाये
छू रज-कण प्रिय-पथ का प्यारा
चरणों का बन जाय सहारा
युग-युग तक संगीत तुम्हारा, मिलन रागिनी गाये
आज कुसुम कुम्हलाये
कल ही तो मैंने इनसे थे अपने केश सजाये