"भारत मेरे स्वप्नों का वह, जिसमें सब समान, सब एक, / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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'सब समानधर्मा, धर्माचारी सब, अभय अशोक, अलिप्त | 'सब समानधर्मा, धर्माचारी सब, अभय अशोक, अलिप्त | ||
सभी पाप से भीत, पुण्यकर्मा, सब एक दूसरे के | सभी पाप से भीत, पुण्यकर्मा, सब एक दूसरे के | ||
− | सुख से सुखी, दुखी | + | सुख से सुखी, दुखी दु:खों से, जैसे अयुत सरों में दीप्त |
आकृतिया हों एक भानु की, सब सबमें सबको देखें | आकृतिया हों एक भानु की, सब सबमें सबको देखें | ||
03:05, 17 जुलाई 2011 का अवतरण
भारत मेरे स्वप्नों का वह, जिसमें सब समान, सब एक,
सब का एक लक्ष्य, सबको समान अवसर, समान अधिकार,
सब का राज्य, लोकतंत्रात्मक, सुखी सभी, सबमें सुविवेक,
सभी धनिक, धन-निस्पृह सब संतुलित-शक्ति-भावना-विचार;
'सब हरिभक्त, सभी विद्रोही अत्याचारों के, सब शांत,
सत्य-अहिंसक सभी, सभी स्वस्थित, सब वीत-राग-भय-क्रोध,
सभी परार्थी, परमार्थी सब, जीवन-मुक्त कुसुम-से कान्त,
कोमल सभी, कठोर सभी, सब विनयमूर्ति, सबमें प्रतिरोध;
'सब समानधर्मा, धर्माचारी सब, अभय अशोक, अलिप्त
सभी पाप से भीत, पुण्यकर्मा, सब एक दूसरे के
सुख से सुखी, दुखी दु:खों से, जैसे अयुत सरों में दीप्त
आकृतिया हों एक भानु की, सब सबमें सबको देखें
सबका शुभ सोचें सब, सबके द्वारा सबका हो कल्याण'
यह बापू की वाणी सुन्दर--'सबको सन्मति दें भगवान'.