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"गरीबी / सुरेश यादव" के अवतरणों में अंतर
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+ | गरीबी - पेंडुलम सी झूलती है ! | ||
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21:18, 19 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
गरीबी
बाज़ार में मुंह बांध कर जाती हुई मिलती है
ख़ाली जेब मिलती है मेले में
गुब्बारे के साथ
फूलती और फूटती है
समय के झूलों में
गरीबी - पेंडुलम सी झूलती है !