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"खेलने लगे खिलौने / सुरेश यादव" के अवतरणों में अंतर
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भरी बरसात में
बेच डाले हैं अपने छोटे-छोटे घर
खरीद लाये हैं एक बड़ा-सा आकाश
इस बस्ती के लोग
