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"पराधीनता-निशा कट गयी / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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प्रथम स्वाधीनता-दिवस के अवसर पर | प्रथम स्वाधीनता-दिवस के अवसर पर | ||
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पलटा दिन, इतिहास, भाग्य ने पुन: आज अँगड़ाई ली है | पलटा दिन, इतिहास, भाग्य ने पुन: आज अँगड़ाई ली है | ||
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भूल न पाती लिये हृदय में घाव खड़ी हल्दीघाटी है | भूल न पाती लिये हृदय में घाव खड़ी हल्दीघाटी है | ||
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− | आओ लौट सुभाष! न अब दर-दर की ठोकर खानी होगी | + | आओ लौट, सुभाष! न अब दर-दर की ठोकर खानी होगी |
− | आज | + | आज तुम्हींको लाल किले पर विजय-ध्वजा फहरानी होगी |
आज अमर कवि के स्वप्नों का नंदन उतर पड़ा भूपर | आज अमर कवि के स्वप्नों का नंदन उतर पड़ा भूपर | ||
हिमापति खड़ा दहाड़ रहा है किये तिरंगा झंडा ऊपर | हिमापति खड़ा दहाड़ रहा है किये तिरंगा झंडा ऊपर | ||
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01:17, 20 जुलाई 2011 का अवतरण
प्रथम स्वाधीनता-दिवस के अवसर पर
पराधीनता-निशा कट गयी, स्वप्न ब्रिटिश-साम्राज्य हुआ है
पहली बार आज ही अपने घर में अपना राज्य हुआ है
. . .
पलटा दिन, इतिहास, भाग्य ने पुन: आज अँगड़ाई ली है
प्रथम बार खुल गयी सवा मन की श्रृंखला कलाई की है
पराधीनता की वह रजनी, पूछो मत कैसे काटी है
भूल न पाती लिये हृदय में घाव खड़ी हल्दीघाटी है
. . .
आओ लौट, सुभाष! न अब दर-दर की ठोकर खानी होगी
आज तुम्हींको लाल किले पर विजय-ध्वजा फहरानी होगी
आज अमर कवि के स्वप्नों का नंदन उतर पड़ा भूपर
हिमापति खड़ा दहाड़ रहा है किये तिरंगा झंडा ऊपर