"रामनवमी / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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चली राम के सँग-सँग सीता | चली राम के सँग-सँग सीता | ||
धनुष-भंग से हर्षित जन-मन | धनुष-भंग से हर्षित जन-मन | ||
− | देवों का | + | देवों का दुख बीता |
धूम अभिषेक की, | धूम अभिषेक की, | ||
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वन को चले राम रघुनाथ | वन को चले राम रघुनाथ | ||
भेज दी चुनौती लंकापति को | भेज दी चुनौती लंकापति को | ||
− | + | दुर्मति शूर्पणखा के हाथ | |
सीता के हरण की, | सीता के हरण की, | ||
वेदना जटायु के मरण की | वेदना जटायु के मरण की | ||
कौन जाने पवनसुत बिना, | कौन जाने पवनसुत बिना, | ||
− | + | पीड़ा राम के मन की! | |
हाँक हनुमान की, | हाँक हनुमान की, |
01:24, 20 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
दो सूत प्यारे
दशरथ की आँखों के तारे
बड़ी कठिनता से पाकर
मुनि वन को सिधारे
रण की दीक्षा,
मिली कुमारों को शुभ शिक्षा
विजित ताड़का-सुबाहु निशिचर
सफल परीक्षा
नव परिणीता
चली राम के सँग-सँग सीता
धनुष-भंग से हर्षित जन-मन
देवों का दुख बीता
धूम अभिषेक की,
काल से चली नहीं एक की
कुबुद्धि-मंथरा-प्रेरित
वामा वाम टेक की
कैकेई कोप-भवन में
काँपे दशरथ सुनकर मन में
दो वरों के साथ ही
प्राण दे दिए क्षण में
प्रिया-अनुज साथ,
वन को चले राम रघुनाथ
भेज दी चुनौती लंकापति को
दुर्मति शूर्पणखा के हाथ
सीता के हरण की,
वेदना जटायु के मरण की
कौन जाने पवनसुत बिना,
पीड़ा राम के मन की!
हाँक हनुमान की,
सुनते ही पुलक उठी जानकी
पल में स्वर्ण-लंका जल राख हुई,
भूसी ज्यों धान की
कुम्भकर्ण, मेघनाद,
अंत में रावण भी गया मलते हाथ
रण जीतकर फिरे अयोध्या में श्री राम,
सीता-लक्ष्मण साथ!