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पद गाये कबीर ने झीने
गीत बंग -कवि रसभीने ने ने रसभीने 
मीरा सूर और तुलसी ने
हृदय रख दिया चीर
 
पर उनमें था श्रद्धा का बल
लक्ष्य नहीं होता  होता था ओझल
तू शंका, दुविधा में प्रतिपल
कैसे पाये तीर!
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