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"शक्ति दे, मन को सुदृढ़ बनाऊँ / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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जब भी विकल हुआ मैं स्वामी! | जब भी विकल हुआ मैं स्वामी! | ||
तूने ही बाँहें हैं थामी | तूने ही बाँहें हैं थामी | ||
− | निज दुर्बलता अन्तर्यामी! | + | निज दुर्बलता, अन्तर्यामी! |
− | तुझको क्या बतलाऊँ | + | तुझको क्या बतलाऊँ! |
− | + | दुख जितना भी हो, सब सह लूँ | |
बढ़ा-घटाकर जग से कह लूँ | बढ़ा-घटाकर जग से कह लूँ | ||
− | + | दुख में भी सुख से ही रह लूँ | |
बस इतना वर पाऊँ | बस इतना वर पाऊँ | ||
01:47, 20 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
शक्ति दे, मन को सुदृढ़ बनाऊँ
कितना भी गहरा संकट हो, तनिक नहीं घबराऊँ
जब भी विकल हुआ मैं स्वामी!
तूने ही बाँहें हैं थामी
निज दुर्बलता, अन्तर्यामी!
तुझको क्या बतलाऊँ!
दुख जितना भी हो, सब सह लूँ
बढ़ा-घटाकर जग से कह लूँ
दुख में भी सुख से ही रह लूँ
बस इतना वर पाऊँ
यह विश्वास रहे अंतर में
'डाँड़ धरे है तू निज कर में
निश्चय लाघूँगा सागर मैं
लाख झकोरे खाऊँ'
शक्ति दे, मन को सुदृढ़ बनाऊँ
कितना भी गहरा संकट हो, तनिक नहीं घबराऊँ