भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मैं / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=रूप की धूप / गुलाब खंडेलव…) |
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 14: | पंक्ति 14: | ||
मैं गगन जहाँ सूर्य लटकते लाखों | मैं गगन जहाँ सूर्य लटकते लाखों | ||
ब्रह्माण्ड के स्फुलिंग भटकते लाखों | ब्रह्माण्ड के स्फुलिंग भटकते लाखों | ||
− | बेनाल | + | बेनाल पुण्डरीक अतल तल का मैं |
− | हर | + | हर पत्र पर विरंचि लटकते लाखों |
− | अस्तित्व का रहस्यमय फलक हूँ | + | अस्तित्व का रहस्यमय फलक हूँ मैं |
विस्तार अमित, आदि-अंत तक हूँ मैं | विस्तार अमित, आदि-अंत तक हूँ मैं | ||
क्षण-क्षण विलीन सृष्टियाँ अमित जिसमें | क्षण-क्षण विलीन सृष्टियाँ अमित जिसमें | ||
− | वह काल-भाल-नेत्र | + | वह काल-भाल-नेत्र निष्पलक हूँ मैं |
<poem> | <poem> |
02:16, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
मैं शून्य की रहस्यमयी सत्ता हूँ
दिक्-काल से विमुक्त ज्योतिमत्ता हूँ
हिम-सी विलीन नील इयत्ता जिसमें
मै वह अजान वृंत-रहित पत्ता हूँ
मैं गगन जहाँ सूर्य लटकते लाखों
ब्रह्माण्ड के स्फुलिंग भटकते लाखों
बेनाल पुण्डरीक अतल तल का मैं
हर पत्र पर विरंचि लटकते लाखों
अस्तित्व का रहस्यमय फलक हूँ मैं
विस्तार अमित, आदि-अंत तक हूँ मैं
क्षण-क्षण विलीन सृष्टियाँ अमित जिसमें
वह काल-भाल-नेत्र निष्पलक हूँ मैं