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"कुछ भी नहीं किया / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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सपनों की छवि से  
 
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जला-बुझा किया
 
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टेरता पपीहा-सा
 
टेरता पपीहा-सा

02:36, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


कुछ भी नहीं किया
केवल दिया, दिया, दिया 
जीवन को
सपनों की छवि से
भर लिया,
अंतर की ज्वाला में
जला-बुझा किया
टेरता पपीहा-सा
'पिया, पिया, पिया' 

चन्दन-सा तन-प्राण
घिसता रहा,
गौरव, गति, गंध, गान
रिसता रहा,
एक दिया जला
दूसरा बुझा लिया

खंडित विधु-लेखा मैं
पाँव के तले,
पानी की रेखा ज्यों
बने, मिट चले 
पंछी ज्यों पंखहीन,
ऐसे ही जिया
कुछ भी नहीं किया
केवल दिया, दिया, दिया