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"एक सृष्टि फिर / वत्सला पाण्डे" के अवतरणों में अंतर

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04:30, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

हरसिंगार की
बारिश में
तुम लेटे थे
मैं बैठी थी

रची जा रही थी
एक और सृष्टि

तुम्हारी पीठ पर
पत्ते की नोंक से
लिख बैठी थी
प्यार

उतरती गई
किसी गहराई में
भीगती रही
धरती
उलीचती रही
सागर

तुमने
करवट बदली
लोप हो गई
मैं