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"कौन यह खड़ी अँधेरे पथ पर, / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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जो कविगुरु की वधू रही है | जो कविगुरु की वधू रही है | ||
पति-वियोग की व्यथा सही है | पति-वियोग की व्यथा सही है | ||
− | जिसने रह माँ के घर! | + | जिसने रह माँ के घर! |
ज्ञानी, भक्त, धर्मध्वजधारी | ज्ञानी, भक्त, धर्मध्वजधारी | ||
बाँट सके इसका दुख भारी! | बाँट सके इसका दुख भारी! | ||
खड़ी युगों से यह दुखियारी | खड़ी युगों से यह दुखियारी | ||
− | नयनों में आँसू भर | + | नयनों में आँसू भर |
कविगुरु ने तो इसे भुलाया | कविगुरु ने तो इसे भुलाया | ||
जग भी क्यों न मान दे पाया | जग भी क्यों न मान दे पाया | ||
जिसे अमृत इसने पिलवाया | जिसे अमृत इसने पिलवाया | ||
− | आप तृषाकुल रहकर! | + | आप तृषाकुल रहकर! |
कौन यह खड़ी अँधेरे पथ पर, | कौन यह खड़ी अँधेरे पथ पर, |
04:53, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
कौन यह खड़ी अँधेरे पथ पर,
चिर-उपेक्षिता एक रो रही है अबला दुख-कातर!
क्या यह रत्नावली वही है
जो कविगुरु की वधू रही है
पति-वियोग की व्यथा सही है
जिसने रह माँ के घर!
ज्ञानी, भक्त, धर्मध्वजधारी
बाँट सके इसका दुख भारी!
खड़ी युगों से यह दुखियारी
नयनों में आँसू भर
कविगुरु ने तो इसे भुलाया
जग भी क्यों न मान दे पाया
जिसे अमृत इसने पिलवाया
आप तृषाकुल रहकर!
कौन यह खड़ी अँधेरे पथ पर,
चिर-उपेक्षिता एक रो रही है अबला दुख-कातर!