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कभी तो मुस्कुरा देते, तबीयत ही बहल जाती
उन्हीं को उन्हींको चाहते हैं अपने सीने से लगा लें हम की कि जिनकी याद आते ही छुरी है दिल पे चल जाती
वे दिन कुछ और ही थे जब गुलाब आँखों में रहते थे
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