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"उदास कितने थे--गजल / अखिलेश तिवारी" के अवतरणों में अंतर
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हमें ही फ़िक्र थी अपनी शिनाख्त की 'अखिलेश' | हमें ही फ़िक्र थी अपनी शिनाख्त की 'अखिलेश' | ||
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08:41, 29 जुलाई 2011 का अवतरण
हम उन सवालों को लेकर उदास कितने थे
जवाब जिनके यहीं आसपास कितने थे
मिली तो आज किसी अजनबी सी पेश आई
इसी हयात को लेकर कयास कितने थे
हंसी, मज़ाक, अदब, महफिलें, सुखनगोई
उदासियों के बदन पर लिबास कितने थे
पड़े थे धूल में अहसास के नगीने सब
तमाम शहर में गौहरशनाश कितने थे
हमें ही फ़िक्र थी अपनी शिनाख्त की 'अखिलेश'
नहीं तो चहरे जमाने के पास कितने थे