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"अपने हर कौल से, वादे से पलट जाएगा / आदिल रशीद" के अवतरणों में अंतर
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− | अपने हर कौल से, वादे से पलट जाएगा | + | अपने हर कौल <ref> कथन </ref> से, वादे से पलट जाएगा |
जब वो पहुंचेगा बुलंदी पे तो घट जाएगा | जब वो पहुंचेगा बुलंदी पे तो घट जाएगा | ||
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उसके बढ़ते हुए क़दमों पे कोई तन्ज़ न कर | उसके बढ़ते हुए क़दमों पे कोई तन्ज़ न कर | ||
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क्या ज़रूरी है के ताने रहो तलवार सदा | क्या ज़रूरी है के ताने रहो तलवार सदा | ||
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आसमानों से परे यूँ तो है वुसअत उसकी | आसमानों से परे यूँ तो है वुसअत उसकी | ||
तुम बुलाओगे तो कूजे में सिमट जाएगा | तुम बुलाओगे तो कूजे में सिमट जाएगा | ||
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20:10, 1 अगस्त 2011 का अवतरण
अपने हर कौल <ref> कथन </ref> से, वादे से पलट जाएगा
जब वो पहुंचेगा बुलंदी पे तो घट जाएगा
अपने किरदार को तू इतना भी मशकूक <ref> जिस पर शक हो </ref>न कर
वर्ना कंकर की तरह से दाल से छट जाएगा
जिसकी पेशानी <ref>माथा,ललाट</ref>तकद्दुस <ref>पाकीज़गी</ref> का पता देती है
जाने कब उस के ख्यालों से कपट जाएगा
उसके बढ़ते हुए क़दमों पे कोई तन्ज़ न कर
सरफिरा है वो,उसी वक़्त पलट जाएगा
क्या ज़रूरी है के ताने रहो तलवार सदा
मसअला घर का है बातों से निपट जाएगा
आसमानों से परे यूँ तो है वुसअत उसकी
तुम बुलाओगे तो कूजे में सिमट जाएगा
शब्दार्थ
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