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"पिछाण / हरीश बी० शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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आज-काळ री छोरयाँ रा
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सरीर रो सिरजक
रंग-ढ़ंग देख‘र
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पांच-पदारथ नैं रळा‘र
छोरा-छंडा ही नीं
+
आपां नैं
बडेरां रो/डेणां रो
+
मिनख जमारो दियो
मनड़ो भी डोल जावै है
+
पण आपां कांईं दियो पाछो ?
छोरा कैवै है -
+
बातां-बातां में
‘आ कामणगारी चीज घणी खाटी है’
+
हवा निकळी, लाय लागी
 
+
हाड़ तिड़क्या, राख बणी
बडेरा थोड़ी मरजादा निभावै है
+
आभै में भिळग्या धुओं बण‘र
खनलैं नै पूछै .....
+
पाणी पड़यो, फूल चुग लिया
अरे नीं, समझावै
+
.........
आ बाई किण री है,
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आ बात बतावै है।
+
  
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माटी में नांव,
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हवा में सांस,
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अर पाणी में हाड़।
 +
पैला ना तो की हा,
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अबै ई कीं कोनी।
 
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14:24, 8 अगस्त 2011 के समय का अवतरण


सरीर रो सिरजक
पांच-पदारथ नैं रळा‘र
आपां नैं
मिनख जमारो दियो
पण आपां कांईं दियो पाछो ?
बातां-बातां में
हवा निकळी, लाय लागी
हाड़ तिड़क्या, राख बणी
आभै में भिळग्या धुओं बण‘र
पाणी पड़यो, फूल चुग लिया
.........

माटी में नांव,
हवा में सांस,
अर पाणी में हाड़।
पैला ना तो की हा,
अबै ई कीं कोनी।