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23:49, 18 जुलाई 2007 के समय का अवतरण


मैं खड़ा रहा देर तक

उसके बोलने की प्रतीक्षा करता रहा

पर वह मौन रहा

इस तरह मैं भी मौन रहा

और बरसों मौन रहा

एक ही जगह खड़ा रहा

फिर उसने बोलने की कोशिश की

तो मैंने भी बोलने की कोशिश की

पर हम दोनों बोलना भूल चुके थे

और वहीं के वहीं खड़े थे

खड़े थे और यह भी भूल चुके थे

कि जाना कहाँ है?


(रचनाकाल : 1990)