भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तुम्हें प्यार करने को जी चाहता है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
करें क्या जो मरने को जी चाहता है! | करें क्या जो मरने को जी चाहता है! | ||
− | कहें क्या तुम्हें! | + | कहें क्या तुम्हें! ज़िन्दगी देनेवाले! |
कि जी से गुज़रने को जी चाहता है | कि जी से गुज़रने को जी चाहता है | ||
01:56, 12 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
तुम्हें प्यार करने को जी चाहता है
फिर एक आह भरने को जी चाहता है
बड़े बेरहम हो, बड़े बेवफ़ा हो
करें क्या जो मरने को जी चाहता है!
कहें क्या तुम्हें! ज़िन्दगी देनेवाले!
कि जी से गुज़रने को जी चाहता है
मना है जिधर ये निगाहें उठाना
उधर पाँव धरने को जी चाहता है
खिले हैं गुलाब आज होँठों पे उनके
कोइ ज़ुर्म करने को जी चाहता है