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Kavita Kosh से
प्यार हमने किया, उनपे एहसान क्या, प्यार कहकर बताना नहीं चाहिए
रागिनी एक दिल में है जो है गूँजती, उसको होठों होँठों पे लाना नहीं चाहिए
यों तो मंज़िल नहीं इस सफ़र में कोई, फिर भी मंज़िल का धोखा तो होता ही है
ठेस गहरी लगी आज दिल में, मगर हार कर बैठ जाना नहीं चाहिए
ज़िन्दगी के थपेडों से मुरझा गएगये, हम भी थे उनकी नज़रों के क़ाबिल कभी
बाग़ में कह रहा था गुलाब एक यों, 'हमको ऐसे भुलाना नहीं चाहिए
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