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"मिलके नहीं बिछुडेंगे जहाँ हम, ऐसा भी कोई देश तो होगा / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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माना कि यह ख़त हाथ में लेकर उसने इसे फिर फाड़ भी डाला | माना कि यह ख़त हाथ में लेकर उसने इसे फिर फाड़ भी डाला | ||
− | लौटनेवाले हमको बता दे, उसका कोई सन्देश तो होगा? | + | लौटनेवाले! हमको बता दे, उसका कोई सन्देश तो होगा? |
हमको तड़पता देखके भी क्या तू ये नज़र मोड़े ही रहेगा? | हमको तड़पता देखके भी क्या तू ये नज़र मोड़े ही रहेगा? | ||
− | लाख है पत्थर दिल में मगर कुछ प्यार का भी लवलेश तो होगा! | + | लाख है पत्थर, दिल में मगर कुछ प्यार का भी लवलेश तो होगा! |
रंग गुलाब का उड़ने लगा है, लौट रही हैं शोख़ हवायें | रंग गुलाब का उड़ने लगा है, लौट रही हैं शोख़ हवायें | ||
− | जिसमें हमें पहचान ले दुनिया, ऐसा भी कोई | + | जिसमें हमें पहचान ले दुनिया, ऐसा भी कोई भेष तो होगा? |
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02:11, 12 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
मिलके नहीं बिछुड़ेंगे जहाँ हम, ऐसा भी कोई देश तो होगा?
हम न रहेंगे, तू न रहेगा, प्यार मगर यह शेष तो होगा?
माना कि यह ख़त हाथ में लेकर उसने इसे फिर फाड़ भी डाला
लौटनेवाले! हमको बता दे, उसका कोई सन्देश तो होगा?
हमको तड़पता देखके भी क्या तू ये नज़र मोड़े ही रहेगा?
लाख है पत्थर, दिल में मगर कुछ प्यार का भी लवलेश तो होगा!
रंग गुलाब का उड़ने लगा है, लौट रही हैं शोख़ हवायें
जिसमें हमें पहचान ले दुनिया, ऐसा भी कोई भेष तो होगा?