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"पत्थर और नदी -1 / सुरेश यादव" के अवतरणों में अंतर
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09:32, 12 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
पहाड़ों के पत्थर
जब ऊँचाइयों से टूटते हैं
तब - पत्थर बहुत 'टूटते ' हैं
डूब कर भी नदी में
बहना चाहते नहीं
धार से जूझते हैं
विरोध करते हैं - पत्थर
सागर में समर्पित होने का
नदी के साथ
रेशा-रेशा घिस कर
तलहटी में बिछ कर
जकड़ कर धरती को
समर्पित होने से पहले
रेत होना बेहतर समझते हैं।