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"अमर बेल / सुरेश यादव" के अवतरणों में अंतर

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उसे जड़ से सुखा जाता है
 
उसे जड़ से सुखा जाता है
 
खुद को लेकिन
 
खुद को लेकिन
अमर बेल -सा
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अमर बेल-सा
 
हर हाल में हरा रखता है।
 
हर हाल में हरा रखता है।
  

10:19, 12 अगस्त 2011 का अवतरण

समर्पण की उसकी
अपनी अदा है
लिपटता है इस अदा से
जिस पेड़ पर भी
उसे जड़ से सुखा जाता है
खुद को लेकिन
अमर बेल-सा
हर हाल में हरा रखता है।